15 Mar तीन रंग, एक पहचान
खुशबू तो सभी के खून की आती है
इस मिट्टी से
फिर क्यों नहीं है
सब की ये मिट्टी?
केसरिया मैं
सफेद मैं
और हरा भी
इन्ही रंगो से बनता है
मेरा चेहरा
मत छीनो मेरा कोई भी रंग
मत बिगाड़ो मेरा चेहरा
मेरे बच्चें मेरा ग़ुरूर है
उनके मज़हबों को
मैंने अपने सीने से लगाया है
मेरी विभिन्नता में ही
मेरी असली सुंदरता है
झूठी एकता के नाम पर
मत उछालो उस पर कीचड़
अरे पगले देख मेरी तरफ
एक दफ़ा ध्यान लगाकर
मैं आकाश हूँ
परबत से भी ऊपर मेरा कद है
नहीं पहुंचेगी तेरी आलोचना मुझ तक
हिमालय की चोटी मेरी एक पहचान है
मत भूल कर
मुझे अलग करने की
मेरा हर एक अंग अलग होकर भी
मैं एक हूँ, और वही मेरी ख़ूबसूरती है
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